हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए सभी देश एकजुट हो सकते हैं यदि अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, भारत, म्यांमार, नेपाल और पाकिस्तान की सरकारें अपने मंत्रियों और प्रतिनिधियों द्वारा अक्टूबर, 2020 में हुए शिखर सम्मेलन में किए गए वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हों। हालांकि इन देशों के पूर्व और वर्तमान के तनावों को देखते हुए ऐसा होना आसान नहीं दिख रहा।
इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) द्वारा बुलाई गई शिखर बैठक में इन सभी आठ देशों ने हिंदू कुश हिमालय पर अपनी साझा निर्भरता को स्वीकार किया।
इस शिखर बैठक में चीन विज्ञान अकादमी के उपाध्यक्ष झांग यापिंग, भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, पाकिस्तान के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और अनुसंधान मंत्री सैयद फखर इमाम सहित सभी देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक की रिकॉर्डिंग भी सार्वजनिक की गई है ताकि समझौतों को लेकर पूरी पारदर्शिता बनी रहे।
हिमालय के लिए एकजुट आवाज?
इस वैश्विक जलवायु और जैव विविधता वार्ता में सभी आठों देश एकजुट होकर एक आवाज में बात करने के लिए सहमत हुए, यह इस वार्ता का सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक पक्ष रहा। हिंदु कुश की इस पर्वत श्रृंखला पर 24 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका निर्भर है और लगभग 19 करोड़ लोगों को यह पर्वत श्रृंखला पानी और ताजी मिट्टी जैसी मूलभूत प्राकृतिक चीजें उपलब्ध कराती है। फिर भी इस क्षेत्र में खाद्य और पोषण संबंधी अपर्याप्तता एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। हिंदु कुश हिमालय क्षेत्र की 30% से अधिक आबादी खाद्य असुरक्षा से जूझ रही है और लगभग 50% महिलाएं और बच्चे किसी न किसी रूप में कुपोषण का सामना कर रहे हैं।
विकास परियोजनाओं, जंगलों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और अब कोविड -19 महामारी से यह क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इसलिए जरूरी है कि जंगलों की कटाई और विकास परियोजनाओं को लागू करने से पहले उनका बेहद ही गहनता से सूक्ष्म परीक्षण हो। इसके अलावा इन आठ देशों की एकजुट आवाज जलवायु परिवर्तन का कारण बनने वाले ग्रीनहाउस गैस पर भी लगाम लगाने के लिए महत्वपूर्ण होगी।
समस्या और समाधान सब जानते हैं
ICIMOD द्वारा हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में 2013 से 2017 तक लगातार अनुसंधान किया गया ताकि क्षेत्र की समस्याओं और उसके समाधान का पता चल सके। हाल ही में ICIMOD ने हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में कोविड -19 के प्रभाव और इसको रोकने के लिए बनाई गई नीतियों पर भी एक शोधपत्र प्रकाशित किया है।
इन अनुसंधानों के आधार पर सभी आठ देशों ने एक साझा कार्रवाई का आह्वान किया है। इसके अनुसार सभी आठ देशों को हिंदु कुश के पहाड़ी क्षेत्र में जलवायु और आपदा रोधी समुदाय विकसित करने के लिए लोगों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। जलवायु परिवर्तन पर एक साथ कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
इस साझा कार्रवाई में एक समृद्ध, शांतिपूर्ण और गरीबी मुक्त हिंदु कुश हिमालय क्षेत्र की परिकल्पना की गई है, जहां पर भोजन, ऊर्जा (बिजली) और पानी की कमी ना हो और स्थानीय लोग इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भर हो सकें।
ICIMOD के उप महानिदेशक एकलव्य शर्मा कहते हैं, “हिंदु कुश हिमालय क्षेत्र जलवायु परिवर्तन का एक हॉटस्पॉट केंद्र है और इस क्षेत्र में रहने वाले लोग इससे बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। चूंकि कई आपदाएं और संघर्ष इन देशों की सीमाओं पर होते रहते हैं, इसलिए इस क्षेत्र में कोई भी संघर्ष आसानी से भड़क सकता है।”
“अगर सरकारें पर्यावरण संरक्षी, लचीला और समावेशी समाज बनाने की दिशा में एक साथ ठोस कार्रवाई करें तो हम जलवायु परिवर्तन और अन्य नकारात्मक प्रभावों को काफी हद तक रोक सकते हैं,”
एकलव्य आगे कहते हैं।
इसके लिए तत्काल इन छह कार्रवाईयों की जरूरत है:
- हिंदु कुश हिमालय क्षेत्र में स्थायी और पारस्परिक लाभ के लिए सभी स्तरों पर आपस में सहयोग किया जाए।
- हिंदु कुश हिमालय क्षेत्र के लोगों की विशिष्ट समस्याओं को पहचान कर उन्हें प्राथमिकता से हल किया जाए।
- साल 2100 तक ग्लोबल वॉर्मिंग के स्तर को 1.5 °C के लक्ष्य तक बनाए रखने के लिए सभी स्तरों पर ठोस कार्रवाई हो।
- सतत विकास लक्ष्यों (SDG) और नौ पर्वतीय प्राथमिकताओं को प्राप्त करने के लिए त्वरित कार्रवाई हो।
- पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति लचीलापन बढ़ाने, जैव विविधता की हानि और भूमि क्षरण को कम करने के लिए ठोस उपाय किए जाएं।
- सभी देश इस क्षेत्र से संबंधित क्षेत्रीय डाटा और सूचनाओं को आपस में साझा करें ताकि उचित नीतियां बन सकें।
ICIMOD के आईसीआईएमओडी के निवर्तमान महानिदेशक डेविड मोल्डन ने शिखर सम्मेलन में कहा, “हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र इस पृथ्वी की नाड़ी है। जब नाड़ी मजबूत होता है तभी मानव स्वस्थ होता है। लेकिन जब नाड़ी कमजोर पड़ता है तो पूरे शरीर (पृथ्वी) की समस्याएं बढ़ जाती हैं। आज हम इस क्षेत्र में यह कमजोरी महसूस कर रहे हैं। हालांकि हम यह भी महसूस कर रहे हैं कि यह कमजोरी इस क्षेत्र की समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु भी बन सकता है।”
आईसीआईएमओडी के महानिदेशक और भूटान के विपक्षी दल के पूर्व नेता पेमा ग्यात्शो ने कहा, “मैं इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और इस जटिल मुद्दे का सामना करने के लिए गहराई से प्रतिबद्ध और उत्सुक हूं और मुझे खुशी है कि इसमें साथ देने के लिए सभी देश एकजुट हुए हैं। जब हम साथ काम करते हैं तब हम और मजबूत होते हैं।”