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प्रकृति

वैश्विक जैव विविधता के एक प्रसिद्ध केंद्र का कैसे बदला जा रहा है रूप

An elephant walks through a lush green field विचार

कमेंट्री: हाथी के मौसम में इंसानों और हाथियों के टकराव से निपटने के लिए किस तरह से तैयार है असम

उत्तर-पूर्वी भारत में फसलों के पकने का मौसम आते ही, हाथियों के झुंड खेतों के करीब चले जाते हैं। जाहिर है इस वजह से किसानों के साथ उनका संघर्ष होता है। इंसानों और हाथियों के बीच सह-अस्तित्व बेहतर तरीके से हो सके, इसके लिए कई स्थानों पर विध्वंस-रोधी दस्तों (एडीएस) का गठन किया गया है। इनका उद्देश्य ऐसे संघर्षों को कम करना है।

Sveinung Rotevatn, Norway's Minister for Climate and the Environment [image courtesy: Norwegian Ministry of Climate and Environment] आलेख

क्या नॉर्वे की समुद्री प्रबंधन योजना से सीख सकता है भारत?

नॉर्वे के पर्यावरण मंत्री की भारत यात्रा के दौरान नई दिल्ली में विशेष साक्षात्कार
आलेख

आर्सेनिक वाला पानी पीने से गंगा के मैदानी इलाकों में 10 लाख से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत

पश्चिम बंगाल के भूजल में, उच्च स्तर के आर्सेनिक पाए जाने की बात को 30 साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन इसके वजह से होने वाले गंभीर स्वास्थ्य संकटों से निपटने की दिशा में ठोस प्रयास नहीं किए गये हैं।
Colorful houses and a green pine forest in Himalaya mountains in Dharamsala, India. Pine wood and houses on background आलेख

क्या भारत और शहरी वन विकसित कर सकता है?

राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी और पुराने नियमों की वजह से शहरी वन विकसित करने में दिक्कतें आ रही हैं लेकिन कई अच्छे और सफल उदाहरण भी हैं, उनसे सीखकर शहरी वन विकसित किये जाने चाहिए।
Sveinung Rotevatn, Norway's Minister for Climate and the Environment [image courtesy: Norwegian Ministry of Climate and Environment] आलेख

क्या नॉर्वे की समुद्री प्रबंधन योजना से सीख सकता है भारत?

नॉर्वे के पर्यावरण मंत्री की भारत यात्रा के दौरान नई दिल्ली में विशेष साक्षात्कार