जलवायु

जलवायु परिवर्तन से बढ़ रही आसमान में अशांति, दक्षिण एशियाई विमानन क्षेत्र के लिए पैदा हो रहा खतरा 

बढ़ते तापमान, कार्बन उत्सर्जन और बढ़ते क्लियर एयर टर्बुलेंस के बीच के संबंधों पर विशेषज्ञ प्रकाश डालते हैं। क्लियर एयर टर्बुलेंस दरअसल टर्बुलेंस का एक अप्रत्याशित और खतरनाक रूप है, जो गंभीर चोटों का कारण बन सकता है।
<p>पृथ्वी के गर्म होने से वायु अशांति बढ़ रही है, जबकि भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में हवाई यातायात में काफी वृद्धि हो रही है। (फोटो: टॉमस लामास क्विंटास / अलामी)</p>

पृथ्वी के गर्म होने से वायु अशांति बढ़ रही है, जबकि भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में हवाई यातायात में काफी वृद्धि हो रही है। (फोटो: टॉमस लामास क्विंटास / अलामी)

इस हफ्ते सिंगापुर एयरलाइंस का एक विमान हवा में बुरी तरह डांवाडोल हुआ, जिससे हृदय रोग से पीड़ित एक व्यक्ति की मौत हो गई और इस हवाई अशांति के कारण कई अन्य लोग घायल हो गए। यह उन घटनाओं की सीरीज में सबसे नई घटना थी, जिसने अस्थिर होते वायु के ख़तरों और जलवायु परिवर्तन से इसके संभावित संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया है।

एक मई, 2022 को मुंबई से कोलकाता जा रहे एक स्पाइसजेट विमान को भी इसी तरह की अशांति का सामना करना पड़ा था, जिसमें कई लोग घायल हो गए थे। कुछ महीनों बाद उनमें से एक यात्री की विमान में लगी चोटों के कारण मृत्यु हो गई।

स्पाइसजेट के उस विमान में यात्रा करने वाले हेमल दोषी ने उस दर्दनाक अनुभव को याद करते हुए बताया, ‘अचानक लगे झटके से सभी घबरा गए थे। मैंने अपने बगल में बैठी एक बुजुर्ग महिला को सीट से गिरने से बचाने के लिए पकड़ लिया।’

इसी तरह 11 जून, 2022 को पाकिस्तान की व्यावसायिक राजधानी कराची से पेशावर जाने वाली एक एयर ब्लू फ्लाइट में भी यात्रियों को अप्रत्याशित अस्थिरता से जूझना पड़ा, जिससे यात्रियों में घबराहट फैल गई। उस विमान की यात्री नसरीन पाशा ने बताया, उस अफरा-तफरी के बीच यात्री इबादत (प्रार्थना) करने लगे और एक-दूसरे को थामे रहे। 

पाशा ने कहा, ‘सब कुछ बिल्कुल ठीक था, क्योंकि हम लोग सहज तरीके से यात्रा कर रहे थे और खातिरदारी का आनंद उठा रहे थे। लेकिन अचानक विमान डगमगाने और हिलने लगा।’

एयर टर्बुलेंस का विज्ञान और प्रभाव

इस्लामाबाद स्थित वैज्ञानिक मोहम्मद उमर अल्वी के मुताबिक, ‘असुरक्षित आसमान के लिए मानवीय गतिविधियों से प्रेरित पर्यावरणीय गिरावट जिम्मेदार है। औसत तापमान में बढ़ोतरी और वनों की कटाई के चलते देश के बड़े शहरों और उसके आसपास का वातावरण अस्थिर हो गया है। इससे हवा की गति में परिवर्तन से संवहनी धाराओं का निर्माण होता है, जिसके फलस्वरूप अप्रत्याशित वायु अशांति की घटना होती है, विशेष रूप से कराची और लाहौर जैसे बड़े हवाई अड्डों के आसपास।’

एक वैश्विक अध्ययन, जिसके नतीजे वर्ष 2019 में यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के मौसम विज्ञान विभाग द्वारा प्रकाशित किए गए थे, ने पहले ही साफ हवा की अशांति (क्लियर एयर टर्बुलेंस-सीएटी) को बढ़ाने में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर प्रकाश डाला था। इस तरह की गंभीर अशांति उन क्षेत्रों में होती है, जहां बादल नहीं रहते और ये विमान के भयानक रूप से डगमगाने का कारण बनते हैं, लेकिन बादलों के नहीं होने के कारण इसकी भविष्यवाणी करना कठिन है। 

इस अध्ययन में यह भी रेखांकित किया गया है कि कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के कारण गर्म हवा जेट स्ट्रीम में हवा को काटने की क्षमता को बढ़ाती है, जिससे दुनिया भर में इस तरह की घटनाओं में बढ़ोतरी होती है। इसके फलस्वरूप उत्तरी अटलांटिक जैसे व्यस्त हवाई क्षेत्रों में वायु अशांति बढ़ रही है, जहां गंभीर वायु अशांति की अवधि में 1979 से 2020 के दौरान 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी शरफराज खान ने बताया, ‘वायु में अशांति का पूर्वानुमान ऊपरी वायुमंडल (85 किलोमीटर से  600 किलोमीटर) की हवा के आंकड़ों के आधार पर तैयार किया जाता है, जो रेडियोसोन्ड नामक उपकरण से मिलता है, जिसे 100 ग्राम के गुब्बारे के साथ वायुमंडल में छोड़ा जाता है। आम तौर पर जेट स्ट्रीम, 30,000 फीट से ऊपर के स्तर पर तेज हवाओं के साथ, अशांति का कारण बनती है।’  


अगर भविष्य में तापमान में वृद्धि तीव्र हो जाती है, तो स्वच्छ वायु अशांति की घटनाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी
जयनारायण कुट्टीपुरथ, आईआईटी खड़गपुर के जलवायु विशेषज्ञ और वायुमंडलीय रसायनज्ञ

वह आगे कहते हैं कि [क्लियर-एयर] टरबुलेंस के साथ मुश्किल यह है कि यह बस गतिशील हवा है। और हवा रडार में इस्तेमाल की जाने वाली अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो तरंगों के लिए पारदर्शी है। सिग्नल को रडार पर प्रतिबिंबित करने वाली किसी चीज के बिना न तो कोई प्रतिध्वनि होती है और न ही कोई संकेत या चेतावनी मिलती है। 

जलवायु परिवर्तन से साथ संबंध

आईआईटी, बॉम्बे में जलवायु अध्ययन के प्रोफेसर और मैरीलैंड विश्वविद्यालय में एमेरिटस प्रोफेसर रघु मुर्तुगुड्डे जैसे वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन और बढ़ती वायु अशांति के बीच संबंध स्थापित करते हुए कहते हैं, ‘ग्लोबल वार्मिंग के साथ वर्टिकल टेम्प्रेचर (ऊंचाई बढ़ने पर तापमान में कमी) और विंड प्रोफाइल (विभिन्न ऊंचाइयों पर हवा की गति के साथ संबंध) में परिवर्तन होता है, क्योंकि पृथ्वी अतिरिक्त ऊर्जा से छुटकारा पाना चाह रही है, जो बढ़ी हुई ग्रीन हाउस गैसों के कारण फंस रही है। वातावरण और तापमान के मोर्चों पर गति में तेज उतार-चढ़ाव के परिणामस्वरूप भी [क्लियर-एयर] टरबुलेंस पैदा होने की घटनाएं बढ़ती हैं।’ 

आईआईटी, खड़गपुर के जलवायु विशेषज्ञ और वायुमंडलीय रसायन वैज्ञानिक जयनारायण कुट्टीपुरथ ने डायलॉग अर्थ को बताया कि ‘मानवजनित गतिविधियों से प्रेरित ग्लोबल वार्मिंग दुनिया भर में सतही हवा के तापमान में वृद्धि का कारण बनती है। नतीजतन चरम मौसमी घटनाएं भी बार-बार आती हैं और विनाशकारी बन जाती हैं। माना जाता है कि वैश्विक सतही हवा के तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से उत्तरी गोलार्ध में वसंत और सर्दियों में मध्यम दर्जे की सीएटी घटनाओं में लगभग 9 प्रतिशत और पतझड़ एवं गर्मियों में 14 प्रतिशत की वृद्धि होगी। यदि भविष्य में तापमान में वृद्धि होती है, तो सीएटी की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी होगी।’ 

इस तरह की अशांति का पूर्वानुमान लगाने और प्रभावी ढंग से उसका मुकाबला करने के लिए उन्होंने प्रारंभिक चेतावनियों में सुधार करने और विमानों को पता लगाने वाले उपकरणों से लैस करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इन विषयों पर आईआईटी, बॉम्बे में शोध चल रहा है। 

भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन नायर राजीवन कहते हैं कि यात्रियों को सतर्क रहना होगा। ‘वायु अशांति में वृद्धि और इससे जुड़े खतरे, जैसे गंभीर मौसमी घटनाएं यात्रियों को अत्यधिक सावधान रहने की जरूरत को रेखांकित करती हैं। हालांकि जलवायु परिवर्तन में विमानन क्षेत्र की भूमिका स्वीकार की गई है, लेकिन इन समस्याओं से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास महत्वपूर्ण है। उड़ान रद्द करने की वित्तीय लागत भी हवाई यात्रा पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए सक्रिय कदमों की जरूरत को रेखांकित करती है।’

पाकिस्तानी जलवायु वैज्ञानिक मुहम्मद अयूब खान कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन विमानन उद्योग को कई तरह से प्रभावित करता है। ‘अत्यधिक गर्मी विमानों को जमीन पर उतार सकती है, जबकि जेट स्ट्रीम में परिवर्तन से वायु अशांति की घटनाएं हो सकती हैं, जिससे हवाई अड्डे के कर्मचारियों के स्वास्थ्य संबंधी खतरे बढ़ सकते हैं और हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंच सकता है।’

दक्षिण एशिया के हवाई परिवहन उद्योग का विकास और जोखिम

यह सब ऐसे समय में हो रहा है, जब विशेष रूप से दक्षिण एशिया में हवाई यात्रा उद्योग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) की रिपोर्ट के अनुसार, अनुमानित रूप से हवाई परिवहन उद्योग पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में दो अरब डॉलर का योगदान करता है। रिपोर्ट बताती है कि ‘विदेशी पर्यटकों द्वारा किए गए खर्च देश की जीडीपी में 1.3 अरब डॉलर अतिरिक्त योगदान देता है, यानी पाकिस्तान की जीडीपी में हवाई परिवहन उद्योग का कुल योगदान 3.3 अरब डॉलर है।’ 

रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि मौजूदा रुझान के तहत अगले 20 वर्षों में पाकिस्तान में हवाई परिवहन 184 प्रतिशत बढ़ जाएगा। नतीजतन वर्ष 2038 तक 2.28 करोड़ अतिरिक्त यात्री यात्रा करेंगे। यदि इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाता है, तो यह बढ़ी हुई मांग जीडीपी में लगभग 9.3 अरब डॉलर तक की बढ़ोतरी करेगी और देश में लगभग 7,86,300 नौकरियों का सृजन होगा। 

भारत के बारे में आईएटीए ने अगले 20 वर्षों में 262 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, जिसका मतलब है कि वर्ष 2037 तक 37.03 करोड़ अतिरिक्त यात्री यात्राएं करेंगे। यदि यह लक्ष्य पूरा हो जाता है, तो यह बढ़ी हुई मांग जीडीपी में लगभग 126.7 अरब डॉलर का योगदान करेगी और लगभग 91 लाख नौकरियां सृजित होंगी। 

हरित विमानन

वर्षों से पर्यावरणीय प्रभावों, खासकर जलवायु को गर्म करने वाले कार्बन उत्सर्जन के लिए विमानन उद्योग की आलोचना की जाती रही है। लेकिन जर्मन एयरोस्पेस सेंटर के एक अकादमिक शोधकर्ता, बर्नड कर्चर के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि हवाई जहाज का एक अन्य बायप्रोडक्ट (आसमान में वे जो सफेद बादलों की धारियां (कॉन्ट्रेल्स) बनाते हैं) उसका तापमान पर और भी बड़ा प्रभाव होता है, जो 2050 तक तीन गुना हो जाएगा।

अध्ययन बताता है, विमान जब महीन, ठंडी हवा में ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं, तो कॉन्ट्रेल्स (हवाई जहाज के गुजरने के बाद पीछे जो सफेद लकीर दिखती है) की मंत्रमुग्ध कर देने वाली आकृतियां बनती हैं। विमान के एग्झास्ट से निकलने वाली कालिख के चारों ओर जलवाष्प शीघ्रता से जमा हो जाती है। यह जमकर हिमकणों से निर्मित बादल बनाती है, जो मिनटों या घंटों तक बना रह सकता है। ये ऊंचे उड़ने वाले बादल, सूरज की रोशनी को प्रतिबिंबित करने के लिहाज से बहुत महीन होते हैं, लेकिन उनके अंदर बर्फ के क्रिस्टल गर्मी को रोक सकते हैं। निचले स्तर के बादलों के विपरीत, जो नेट कूलिंग करते हैं, ये कॉन्ट्रेल-निर्मित बादल जलवायु को गर्म करते हैं।

कुछ विमानन विशेषज्ञ उत्सर्जन को कम करने के लिए हरित प्रौद्योगिकी के साथ प्रयोग कर रहे हैं – यदि इसका कुछ सकारात्मक नतीजा मिलता है, तो सीएटी पर असर पड़ सकता है, जो कार्बन उत्सर्जन के कारण खतरे को बढ़ा रहा है।

एक पाकिस्तानी पायलट और वैमानिकी इंजीनियर सारा कुरेशी का लक्ष्य बाधाओं को कम करना और विमानन उद्योग को हरित बनाना है।

ब्रिटेन के कैनफील्ड यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की उपाधि पाने वाले कुरैशी ने पर्यावरण के अनुकूल हवाई जहाज का इंजन बनाने के लिए एयरो इंजन क्राफ्ट नामक एक कंपनी शुरू की है। हवाई जहाज के निकास में जल वाष्प को ठंडा करने के लिए इंजन को डिजाइन किया गया है, ताकि पानी हवाई जहाज पर रहेगा और जरूरत पड़ने पर बारिश के रूप में छोड़ा जा सकता है।

पाकिस्तानी विमानन विशेषज्ञ मोहम्मद हैदर हारून ने कहा, ‘सस्टेनेबल विमानन ईंधन का उत्पादन बढ़ना चाहिए। हाइड्रोजन और बैटरी/बिजली से चलने वाले विमान 2030 के अंत से वैश्विक विमानन उद्योग को और अधिक कुशल बना सकते हैं। वैश्विक स्तर पर नवीनतम तकनीक वाले ईंधन का किफ़ायती उपयोग करने वाले कुशल विमानों को एयरलाइनों द्वारा शामिल किया जाना चाहिए।’

हारून के अनुसार, उन्नत इंजन, उन्नत वायुगतिकी (एयरोडायनेमिक्स), हल्की मिश्रित सामग्री और जैव-आधारित टिकाऊ विमानन ईंधन हरित विमानन उद्योग के समाधानों में से एक है।

क़ुरैशी ने कहा, ‘जब हम आसमान की ओर देखते हैं, तो वहां हमें केवल एक ही उद्योग चलता दिखाई देता है। हम इस बात पर ज्यादा ध्यान ही नहीं देते कि हमसे एक किलोमीटर ऊपर क्या हो रहा है। यह एक कंबल की तरह है, जो धीरे-धीरे पृथ्वी की सतह को ढक रहा है, जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान दे रहा है।’ 

यह रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट ईस्ट-वेस्ट सेंटर द्वारा आयोजित एक क्रॉस-बॉर्डर वर्कशॉप का हिस्सा है, जहां दोनों देशों के पत्रकार क्रॉस-बॉर्डर जलवायु परिवर्तन से संबंधित कहानियों का पता लगाने के लिए एक साथ आए थे।

Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.

Strictly Necessary Cookies

Strictly Necessary Cookie should be enabled at all times so that we can save your preferences for cookie settings.

Analytics

This website uses Google Analytics to collect anonymous information such as the number of visitors to the site, and the most popular pages.

Keeping this cookie enabled helps us to improve our website.

Marketing

This website uses the following additional cookies:

(List the cookies that you are using on the website here.)